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ले चल

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चलो इस बार, चले उस पार,
जहाँ ना सरहद हो,
ना हथियार,
जन्नतें हो वादियों की,
और शांति कण कण मे बसे,
दूरियाँ हो रंजिशों से,
और दिलों के मिट जाए फ़ासले|
प्यार के नज़राने जहाँ,
हर दिलों से झलकते है,
फ़लसफ़े जिंदगी के तरानो के,
जहाँ हर घरों मे बस्ते है|

ले चलो उधर जहाँ,
मोहबातों मे ज़ंग तो हो,
जहाँ दो दिलों मे प्यार की,
एक नयी उमंग तो हो,
जंग-ए-जुनून के जहाँ,
तराने भी हो तो प्यार के लिए,
पर हसरातों की जंग वहाँ,
ना लड़ी जाती हो हथियार लिए|

चलो छोड़ चले ये जहाँ,
पैसा है पर प्यार नही,
जहाँ मौत मे भी रांझे को,
नही मिलती यादें हीर की|
छोड़ चलते इस जहाँ को हम,
जहाँ दिलों मे बसी है सरहदें,
जहाँ देश या परदेस,
या छुपी धर्मों की मंज़िले,
चलो छोड़ उस पार चले हम
जहाँ प्यार की सर ज़मीन मिले|

अपनी मंज़िल तो प्यार है,
जिसमे जीत है ना हार है,
मौत भी जुदा करदे तुझसे अगर तो,
तेरी यादों मे बस के जीँ तो सके,
जहाँ बाहों मे तेरी हो फूलों के गुलशन,
ऐसे जहाँ तू ले चल मुझे|

Please forgive me for any mistake, and reviews/critics are always appreciated.

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